सूरज की चाया कहाँ गयी?
एक समय था जब हरे पहाड़ों में सोने की परछाईं रहती थी। वो प्रकाशित होती और सबको आनंद देती । पर अब वो कहाँ चली गयी? क्या वो हवा में मिल चुकी �
एक समय था जब हरे पहाड़ों में सोने की परछाईं रहती थी। वो प्रकाशित होती और सबको आनंद देती । पर अब वो कहाँ चली गयी? क्या वो हवा में मिल चुकी �